One Reply to “गीता”

  1. भोजपुरी साहित्य के विद्वान एवम् मृदुभाषी विकल् जी का सनिध्या बहुत थोड़े दिनों का मेरे साथ रहा , परंतु अल्पावधि में भी बिताए पल आज भी याद हैं

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