भोजपुरी साहित्यांगन

3 Replies to “सोरठी बृजाभार”

  1. किताब मिलना मुशकिल है. साइट से पीडीएफ डाउनलोड उपलब्ध है.

  2. मेरे दादा जी थे । इनको कौन नही जानता । आज भी उनकी बहोत सी निशानी । हमारे घर में सजा कर रखा हवा है ।
    और मुझे गर्भ महसूस होता है । की मैं उनके यह पैदा लिया हु ।
    आज उनके ही देन से ठाकुर प्रसाद इतना फेमस है और मेरे दादा जी आज सुर्खियों में दबे हुवे है ।
    ऐसे बहोत सारे पत्रकार उनके फोटो ले जा के उनके हर निशानी ले जाके लाखो लाख कमा रहे है

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